साल 2020 में होली 10 मार्च को सम्पूर्ण भारत में मनाई जायेगी। होली हमारे देश का बहुत ही प्रसिद्ध त्यौहार है। दीपावली के बाद होली हिंदू धर्म का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है। इस दिन लोग एक दूसरे को प्यार से गुलाल और रंग लगाते हैं और आपस में गले मिलते हैं। इस दिन हर हिंदू घर में तरह तरह के पकवान बनाए जाते हैं। कहते हैं कि होली एक ऐसा पर्व है जिसमें दुश्मनों को भी गले लगाकर सभी गीले शिकवे भुला दिए जाते हैं। ज्योतिषों और हिन्दू पंचांग के अनुसार होली का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। बसंत ऋतु में प्रकृति में फैली रंगों की छटा को ही रंगों से खेलकर वसंत उत्सव होली के रूप में दर्शाया जाता है। हरियाणा और उससे सटे राज्यों में इसे धुलंडी भी कहा जाता है।
होली त्यौहार को मनाने का कारण प्राचीन भारत के राजा हिरण्यकश्यप को माना जाता है। हिरण्यकश्यप राजा होने के साथ ही राक्षस के गुणों से भी ओत प्रोत था। वह खुद को भगवान समझता था और चाहता था कि लोग भगवान विष्णु की पूजा ना करके उसकी पूजा करें। इस दुष्ट राजा का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। प्रहलाद अपने पिता को पूजने के बजाय विष्णु की भक्ति में लीन रहता था। बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज उस राजा ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया। हिरण्यकश्यप ने षडयंत्र रचा जिसमें उसने अपनी बहन को मोहरा बनाया। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका के पास एक शॉल थी जिसके चलते वो आग में जल नहीं सकती थी। होलिका ने अपने भाई की ओदश का पालन किया। उनकी योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि आग में बैठते ही प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा जिसके परिणामस्वरूप भगवान् विष्णु ने उसकी रक्षा की। जबकि इसी दौरान अनोखे शॉल के बावजूद होलिका जलकर राख हो गई। होलिका की हार को बुराई का अंत कहा जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। उसी दिन से होली का त्यौहार मनाया जाता है। होली का त्यौहार मनाने का कारण होलिका दहन ही है। इसलिए भारत के लगभग सभी जगहों पर होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। जिसके माध्यम से लोगों को बुराई पर सच्चाई की जीत का संदेश मिलता है।
होली वसंत ऋतु का त्यौहार है और होली के आने पर सर्दियां खत्म हो जाती हैं। भारत के कुछ हिस्सों में इस त्यौहार का संबंध वसंत की फसल पकने से भी माना जाता है। किसान अच्छी फसल पैदा होने की खुशी में होली मनाते हैं। होली को ‘वसंत महोत्सव’ या ‘काम महोत्सव’ भी कहते हैं। होली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं इतिहास में दर्ज हैं। होली का त्यौहार मनाने का कारण राधा-कृष्ण के पावन प्रेम को भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि वे स्वयं राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं। तो मां यशोदा मजाकिया अंदाज में कहा कि अगर राधाजी के चेहरे पर रंग मल दिया जाए तो उनका रंग भी कृष्ण जैसा ही हो जाएगा। इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों की होली खेली। उसी दिन इस त्यौहार पर रंग लगाने का चलन शुरू हुआ। ऐसी भी मान्यता है कि भगवान शिव के शाप के कारण धुण्डी नामक राक्षसी को पृथु के लोगों ने इस दिन भगा दिया था, जिसकी याद में होली का त्यौहार मनाया जाता है।
होली का त्यौहार हर्ष, उत्साह और खुशी से जुड़ा हुआ है। लेकिन इसके साथ ही साथ हमें इस त्यौहार के दौरान कुछ सावधानियां भी बरतने की जरुरत होती है।
होली जैसा पवित्र त्यौहार हमें जाति-पात, रंग-भेद, लिंग-भेद और छोटे-बड़े की भावना से उठकर प्रेम व शान्ति के रंगों को फैलाने का संदेश देता है। हालांकि वर्तमान समय में लोग रंग लगाने से ऊपर उठकर प्रेमभाव बढ़ाने और खुशियां बांटने पर बल देते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि होली से संबंधित हमारा ये लेख आपको पसंद आया होगा। कुंडलीफ्री की ओर से आप सभी को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं !